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Showing posts from November, 2019

नरवराश्रम की कहानियां

उसने अपनी संपूर्ण छात्रावस्था एक ही गुरुकुलाश्रम में रहकर  गुजारी - प्रथमा से लेकर आचार्य तक। लेकिन कुछ ऐसे भी विद्यार्थी थे, जिन्होंने मध्यमा के 2 साल बाबा के यहां गुजारे , 2 साल बिहारघाट , 2 साल कर्णवास, 2 साल रामघाट , शास्त्री बनारस के किसी आश्रम से की , और आचार्य हरिद्वार के किसी आश्रम से । उससे ऐसा नहीं हुआ। यद्यपि बहुत बार ऐसी परिस्थितियां आईं कि लगा कि उसे अब यह नरवराश्रम छोड़ना पड़ेगा, लेकिन फिर भी वह यथा-तथा वहीं रहते रहे ! जो एक आश्रम से दूसरे आश्रम में जाने वाले बहुत से छात्र थे , उनसे जब पूछा जाता था कि आप इतने आश्रमों की अदला बदली क्यों करते हैं , तो वे कहते थे - आश्रमाद् आश्रमं व्रजेत् । वे यह नहीं जानते थे कि इस पंक्ति का अर्थ अलग है। जो आज स्वामी मनोजानंद सरस्वती हैं, वो भी उनमें से एक थे । उन्होंने भी कई आश्रमों पर अदला-बदली की थी । पहले वे मखलानंद बाबा के आश्रम  पर रहते थे , उसके बाद सीतारामबाबा के आश्रम में जाकर रहने लगे , उनसे ही कुछ मंत्र विद्या के गुर सीखे । उसके बाद ननुआ चपरासी के आश्रम में जाकर रहने लगे । कभी-कभी वह हनुमान मन्दिर के आश्रम में...

दीपावली श्लोक २०१४, हिमांशु गौड

मायूरनाभसनिभं परिलोक्य हृद्यं हारित्यसम्भृतवनानि तरूंस्तथार्द्रान्। प्राभातिके शरदि दीपवदुत्सवेऽस्मिन् श्रीवर्षिसौख्यवनितारमणं च नस्स्यात्॥ भावार्थ : मोर जैसे नीले रंग की आकाश की हृत्प्रिय आभा को देखकर और हरियाले जंगलों को देखकर तथा भीगे वृक्षों को देखकर , आज मैं इस शरद ऋतु में , सुबह के समय दिवाली के दिन कामना करता हूं कि लक्ष्मी की वर्षा करने वाला सौख्य रूपक योषिद्रमण हमें प्राप्त हो । Seeing the lovely glow of the blue sky like peacocks, and seeing the green forests and the soaked trees, Today, in this autumn, in the morning, on the day of Diwali, I wish that we get the happiness of rain of wealth. #dr.himanshu_gaur Dr.Himanshu Gaur Writing date: Diwali, 25/10/2014

Free book publishing by True Humanity foundation

You can publish your book for free Connecting with the True Humanity foundation! Yes! Our organization promotes such writers, who write on subjects related to humanity and human welfare. And writes on many aspects of Indian culture or is related to Sanskrit language. For budding writers who want to publish their book, Or even the old writers who want to publish any book on nationalism, humanism, global unity, cultural diversity of any kind, can also be contacted on the website of our organization. People of Sanskrit, poets, writers are given special facility in publishing the book. http://www.truehumanityngo.com/

True Humanity foundation द्वारा फ्री में पुस्तक प्रकाशित कराएं

अपनी पुस्तक फ्री में प्रकाशित करा सकते हैं True Humanity foundation से जुड़कर! जी हां ! हमारी यह संस्था ऐसे लेखकों को प्रमोट करती है , जो शैक्षिक , स्वास्थ्य,पर्यावरण,मानवता एवं मानवता कल्याण संबंधी विषयों पर लिखते हैं । एवं भारतीय संस्कृति के अनेक पक्षों पर लिखते हैं या फिर हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत आदि भाषाओं से संबंधित है। ऐसे नवोदित लेखक जो अपनी पुस्तक प्रकाशित करना चाहते हैं , या पुराने लेखक भी, जो अपने किसी भी प्रकार की राष्ट्रवाद मानववाद वैश्विक एकता सांस्कृतिक विविधता संबंधी कोई भी पुस्तक प्रकाशित करवाना चाहते हैं , तो भी हमारी संस्था की वेबसाइट पर संपर्क कर सकते हैं। संस्कृत के लोगों को, कवियों को, लेखकों को पुस्तक प्रकाशित करने में विशेष सुविधा दी जाती है। http://www.truehumanityngo.com/

संसार का सबसे बड़ा भारतीय और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र, ऋषियों का शोध

संसार का सबसे बड़ा भारतीय और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र (ऋषि मुनियो का शोध ) https://www.dbwstore.com/product-category/all-products/ ■ क्रति = सैकन्ड का  34000 वाँ भाग ■ 1 त्रुति = सैकन्ड का 300 वाँ भाग ■ 2 त्रुति = 1 लव , ■ 1 लव = 1 क्षण ■ 30 क्षण = 1 विपल , ■ 60 विपल = 1 पल ■ 60 पल = 1 घड़ी (24 मिनट ) , ■ 2.5 घड़ी = 1 होरा (घन्टा ) ■ 24 होरा = 1 दिवस (दिन या वार) , ■ 7 दिवस = 1 सप्ताह ■ 4 सप्ताह = 1 माह , ■ 2 माह = 1 ऋतू ■ 6 ऋतू = 1 वर्ष , ■ 100 वर्ष = 1 शताब्दी ■ 10 शताब्दी = 1 सहस्राब्दी , ■ 432 सहस्राब्दी = 1 युग ■ 2 युग = 1 द्वापर युग , ■ 3 युग = 1 त्रैता युग , ■ 4 युग = सतयुग ■ सतयुग + त्रेतायुग + द्वापरयुग + कलियुग = 1 महायुग ■ 76 महायुग = मनवन्तर , ■ 1000 महायुग = 1 कल्प ■ 1 नित्य प्रलय = 1 महायुग (धरती पर जीवन अन्त और फिर आरम्भ ) ■ 1 नैमितिका प्रलय = 1 कल्प ।(देवों का अन्त और जन्म ) ■ महाकाल = 730 कल्प ।(ब्राह्मा का अन्त और जन्म ) सम्पूर्ण विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र यही है। जो हमारे देश भारत में बना। ये हमारा भार...