।। जय राम-जन्मभूमि ।। **** सहा जिन्होंने एकवचन के लिए वनों में वास एकवचन के लिए किया राक्षसजाति का नाश एकवचनपरिनिष्ठित को जो देते हैं उल्लास उन्हीं राम का चिंतन कर मेरा ये वाक्यविलास।।१। नहीं मात्र मानव वे हैं , साक्षात् विष्णु की मूर्ति हैं , उनकी पूजा करने से ही , सकल कामना-पूर्ति है दस अवतारों की गिनती में , इक राम रूप बतलाया है धनुष बाण लेकर जिसने दुष्टों को मार भगाया है।।२।। हे राम! पंचशत वर्षों से यवनों ने जिसको ध्वस्त किया पावन पुण्यप्रद , जिस धरती को बाबर ने विध्वस्त किया उसी भूमि पर पुनः तुम्हारा मंदिर बनने वाला है कोटि-सनातन-धर्मधरों का भाग्य संवरने वाला है।।३।। कितनों ने लाठी झेली और कितनों ने गोली खाई कितनों ने तो बरसों तक बस रामचरितगाथा गाई व्रत-उपवास रखे कितनों ने , कितनों नेें संकल्प किया तब जाकर ये राम जन्म भूमि पूजन संपन्न हुआ।।४।। गजब विश्व का हाल है देखो सच को सच साबित करना कितना मुश्किल इस दुनिया में राम नाम का व्रत रखना कायर क्रूर विदेशी हन्ता , उनको तो सम्मान मिला लेकिन देखो रामलला को वर्षो...