।। जय राम-जन्मभूमि ।।
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सहा जिन्होंने
एकवचन के लिए वनों में वास
एकवचन के लिए
किया राक्षसजाति का नाश
एकवचनपरिनिष्ठित
को जो देते हैं उल्लास
उन्हीं राम का
चिंतन कर मेरा ये वाक्यविलास।।१।
नहीं मात्र
मानव वे हैं , साक्षात् विष्णु की मूर्ति हैं,
उनकी पूजा
करने से ही, सकल कामना-पूर्ति है
दस अवतारों की
गिनती में, इक राम रूप बतलाया है
धनुष बाण लेकर
जिसने दुष्टों को मार भगाया है।।२।।
हे राम! पंचशत
वर्षों से यवनों ने जिसको ध्वस्त किया
पावन
पुण्यप्रद, जिस धरती को बाबर ने विध्वस्त किया
उसी भूमि पर
पुनः तुम्हारा मंदिर बनने वाला है
कोटि-सनातन-धर्मधरों
का भाग्य संवरने वाला है।।३।।
कितनों ने
लाठी झेली और कितनों ने गोली खाई
कितनों ने तो
बरसों तक बस रामचरितगाथा गाई
व्रत-उपवास
रखे कितनों ने, कितनों नेें संकल्प किया
तब जाकर ये
राम जन्म भूमि पूजन संपन्न हुआ।।४।।
गजब विश्व का
हाल है देखो सच को सच साबित करना
कितना मुश्किल
इस दुनिया में राम नाम का व्रत रखना
कायर क्रूर
विदेशी हन्ता , उनको तो सम्मान मिला
लेकिन देखो
रामलला को वर्षों तक अपमान मिला।।५।।
साधु संत की
जय हो जो, जीते हैं केवल राम हेतु
उन वीरों की
भी जय हो जो मरते हैं केवल राम हेतु
गुणी , सुधी, नेताओं,भक्तों
को भी देता धन्यवाद
आदर्श-नीति-गुण-धाम-राम
के मंदिर हेतु साधुवाद।।६।।
आज रंगों की
होली है आज मनी दिवाली है
शंखनाद है
चहुंओर, और बज रही ताली है
रामजन्म भूमि
का पूजन , धर्म-राज्य उतरा सा है
हर्षित हैं सब
जन-गण-मन, कलि में युग-त्रेता सा है।।७।।
सत्य सनातन
धर्मनिष्ठ, चरणों में शीश झुकाते हैं
युगों युगों
से, युगों युगों तक जिसकी गाथा गाते हैं
उन्हीं राम की
सत्यकाम की,जन्म भूमि का पूजन है
हर्ष मनाओ दिए
जलाओ, भक्तियज्ञ-आयोजन है।।८।।
महा भयंकर
असुरों को भी खेल-खेल में जो मारें,
साधु संत की
रक्षा हेतु मानव तन को जो धारें,
एक बाण से ही
जो तीनों, लोकों को हर सकते हैं
सभी मनोरथ
भक्तजनों के वे पूरे कर सकते हैं।।९।।
क्या कहूं
अधिक, हे राम! तुम्हारी धरती पर ही आज पुनः
धर्मस्थापन
हुआ, यथाविधि, सजा सत्य का
राज पुनः
सदा रहे यह
मोद, धर्म, उत्कर्ष
तुम्हारी नगरी में
"जय श्री राम" सदैव गूंजता रहे अयोध्या नगरी में।।१०।।
यही रीत
रघुवंशी की है , सदा जो चलती आई है
प्राण जाए पर
वचन ना जाए, सच में ढलती आई है
सत्य धर्म में
जन्म लिए श्री राम ने इसको सिद्ध किया
भावी पीढ़ी
हेतु इक आदर्श मार्ग अनुबद्ध किया ।।११।।
मर्यादा
पुरुषोत्तम सत्य धर्म के पालक, जय श्री राम
धर्म धुरंधर
यज्ञनिष्ठ, दशरथ के बालक, जय
श्री राम
नम्र,दयालु,कर्मनिष्ठ,प्रिय
सृष्टि-सुचालक जय श्री राम
पूजा की थाली
ले आओ, जोर से बोलो जय श्री राम।।१२।।
ध्येय,गेय,अनुमेय,ज्ञेय,विज्ञेय,भाव से उद्भासित!
वेद-शास्त्र-पुराण-वाक्य-सल्लक्षित
दिव्य! परिभाषित!
सर्वतन्त्रस्वतन्त्र!
मन्त्रतन्त्रान्वित!भावसमुद्भासित!
शिवमय राम!
राममय शिव! वैष्णव-शैवों से प्राकाशित!!१३!!
भक्त-प्राण-त्राण-हित-बाण-सुधारण
तेरी जयजयजय
कारण! वारण !
श्रावण ! शोकनिवारण!तेरी जयजयजय
शत्रु-विद्रावण!रावण-मारण!
जगकारण!तव जयजयजय
भवनिधितारण!
भयहारण! रणवीर!धीर तव जयजयजय।।१४।।
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१०:३७ रात्रि,०५/०८/२०२०, गाजियाबाद।