सन् 2007, खुर्जा
अब घड़ी की सुईं 8:40 पर पहुंच चुकी थी और मेरी माला भी पूरी हो गई थी। अभी गणेशपंचक आदि अनेक स्तोत्रों का पाठ करना बाकी था । गणेश पंचक और
हनुमान चालीसा का पाठ पूरा होते होते-होते ,घड़ी की सुईं ने बता दिया था कि अब 8:50 हो चुके हैं।
9:00 बजे कारिकावली का पेपर था। अब तो रामघाट वाले महेश भाई साहब , जो कि मेरे साथ ही बैठकर पूजा कर रहे थे उन्होंने कहा के भाई जितनी पूजा बची है उसे आकर कर लेना ,कहीं पेपर ना छूट जाए। 8:51 पर मैंने जल्दी से शक्राय नमः किया और
सेंटर , जो कि लगभग 500 मीटर दूर था , के लिए दौड़ लगा दी। मैं पांच मिनट लेट था पर एंट्री मिल गई थी।
पेपर में एक प्रश्न ही ऐसा था जो कि मेरे पूर्णत: कण्ठस्थ नहीं था।
अब देखिए जल की द्रव्यत्त्वजातिसिद्धि और विज्ञानवाद व उसका खण्डन जैसे प्रश्न, जो हमारे रटे हुए थे वे भी 15-15 नंबर के थे।
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