अस्मच्चित्तेषु कोsयं नश्शिवो भूत्त्वा प्रवेगवान्।
बिल्वपत्ररसोद्गन्धीभूय भूयोsनुधावति।।
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भावार्थ-- यह कौन प्रवेगवान् शिव तत्त्व है जो हमारे चित्तों में बिल्वपत्र के रस की सुगन्धि बनकर दौड़ रहा है।
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