उसका जीवन सार्थक उसका जन्म महान्
कार्तिक में हरिसक्त हो करे दीप का दान
कार्तिक में हरिसक्त हो करे दीप का दान
करे दीप का दान, हरि की कथा सुनावे,
श्रद्धा से फल फूल चढ़ा, पूजा करवावे।।
अश्वमेध का काम क्या , तीर्थों में क्यों जाय
सब तीर्थों का फल यहीं , दीपदान से पाय
इस धरती पर है नहीं , पाप कोई अवशिष्ट
दीपदान से जो नहीं , हो सकता हो नष्ट।।
अंधकार से पूर्ण हो जो मंदिर एकांत ,
दीपदान उसमें करो, होओ मत विभ्रान्त।।
विष्णुधाम में जो कोई करता दीपक दान,
गरुडध्वज के लोक को, जावे चढ़ा विमान।।
भीड़ भड़क्के में नहीं होती कोई तपस्या ,
शोर शराबे से सदा , बढ़ती बहुत समस्या ।।
अतः शांत मन से सदा करो श्रीश का ध्यान ,
पुण्य-नदी या मंदिरों में, करो प्रदीप प्रदान।।
पुण्य-नदी या मंदिरों में, करो प्रदीप प्रदान।।
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