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तुम भी इस गाथा में।। हिन्दी कविता।। हिमांशु गौड।।

तुम भी  इस गाथा में
अपना नाम लिखा लो
अंधेरे के प्रेतों से
अपनी ताल मिला लो
रात कोे जंगलों में घूमा करो
मंत्रों से अपने गले के ताबीजों को चूमा करो
स्वामी अभयानंद तुम्हें
प्रेतों का पता बता सकते हैं
तुम्हारी कई जिज्ञासा मिटा सकते हैं
और वह जो पागल बुड्ढा
गंगा जी पर नाचता है
उसके पागलपन पर मत जाना
और उससे बहुत सारे रहस्य अपनाना
वह दुनिया की दृष्टि में बहुत पागल है
लेकिन जादू की दुनिया का
बहुत बड़ा आमिल है
अपने दिल और दिमाग में ,
दिल की ही सुनना
प्रोफेसरी और पुजारीगिरी में,
पुजारीगिरी  को ही चुनना ।।
प्रोफेसरी में कोट पेंट है ,
और अयोग्यों के लिए व्याख्यान हैं
पुजारीगिरी में देवताओं का पूजन
और शास्त्रों का सम्मान है
आधुनिक कोई भी हो व्यवसाय
कितनी भी ज्यादा हो आय
धार्मिकता का है अपना आनंद
खैर जो चाहो वह चुनो,
अपनी अपनी पसंद
यह मेरी कच्ची झोपड़ी
वह तुम्हारा पक्का मकान है
तुम्हारी नेताओं से
मेरी महात्माओं से जान पहचान है
तुम तंत्र की ऐसी शक्तियों को
क्यों नहीं अर्जित कर लेते
जो एक क्षण में कुछ भी कर सकें
समंदर में रेत और
रेत में समंदर भर सकें
कल वह बाबा मुझसे बोला-
तपते हुए सहरा का रेत हो गया हूं
रातों को घूमने वाला प्रेत हो गया हूं ।

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