यजमानों को बहका करके
यदि झूठे ग्रह बता कर के
किंचित् भी ना कर के जाप
हमको तो नहीं लगता है पाप
ऐसा कैसे कह सकते आप।।१।।
संध्या वंदन से हीन रहे
रोली चंदन से हीन रहे
सज्जन लोगों के मन को सदा
वाणी से करते विदीर्ण रहे
इतना सब कुछ करने पर भी
भगवान हमें कर देगा माफ
ऐसा कैसे कह सकते आप।।२।।
होटल का भोजन करके भी
नित गमन अगम्या करके भी
हम तो हैं बिल्कुल शुद्ध साफ
ऐसा कैसे कह सकते आप।।३।।
शास्त्रीय मार्ग को छोड़ चुके
जीवन को बिल्कुल मोड़ चुके
आधुनिकता में रहकर जो
हर एक नियम को तोड़ चुके
इतना सब कुछ हो कर के भी
मेरा जीवन है पाक साफ
ऐसा कैसे कह सकते आप।।४।।
ना विष्णु मंत्र ना रुद्र मंत्र
ना गायत्री का जाप किया
लौकिकता में ही रमे रहे
नीचे जीवन का ग्राफ किया
आधे बाबा आधे बाबू
ये कैसे हो तुम हाफ हाफ।।५।।
चूषण अचोष्य का करते हो
भोजन अभक्ष्य का करते हो
ना मर्म शास्त्र का जाना है
फिर खुद को पंडित माना है
ऋषियों का ना लगे शाप
ऐसा कैसे कह सकते आप।।६।।
(सन् 2013 में बनाई गई कविता है जो सबसे पहले बाबागुरुजी को सुनाई थी उसके बाद 2013 की 5 -6 कविताएं और भी हैं)
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