Tuesday, 6 August 2019

सोच सोच कर।। हिन्दी कविता।। हिमांशु गौड़।।

सोच-सोच कर
कहना पड़ता है सब कुछ,
खुलकर कहना मुश्किल है,
हंसना रोना मुश्किल है,
सांसों की इस माला का ,
कोई नहीं विश्वास,
फिर भी,
जीना मरना मुश्किल है।।१।।

ऐसे वैसे कैसे कैसे
लोगों से भरी हुई है राहें
भरे हुए बाजार
भरे हुए चौराहे
आना जाना मुश्किल है ।।२।।

मिलते हैं हर कदम पर
खुशियों से जलने वाले
हंसना गाना मुश्किल है
दिल बहलाना मुश्किल है ।।३।।

अपनी-अपनी सब कहते
बात सुनाना मुश्किल है ।
रोकर सुन लेते हैं बातें
हंसकर फिर सब में फैलाते
ऐसे आलम में लोगों को
दर्द बताना मुश्किल है
हाल सुनाना मुश्किल है।।४।।

टेढ़ी दुनिया में सीधी
चाल चलाना मुश्किल है
झूठे लोगों में सच की
दाल गलाना मुश्किल है।।५।।

बालों को नुकसान
आजकल शैंपू से
गंजी होती दुनियां में,
बाल बचाना मुश्किल है
तेल लगाना मुश्किल है।।६।।
******

अपराह्णे ३:१०।।
गाजियाबादे।।

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