Tuesday, 6 August 2019

गुरु का लंगड़ : हिन्दी कविता, हिमांशु गौड

।।।।गुरु का लंगड़।।।
********
विजया छानें नित्य प्रति,
त्रिपुंड्र लगाकर रहते हैं ,
गंगाजल पीते हैं जमके ,
हर-हर करके रहते हैं,
उच्च-क्वालिटी बात करें ये,
बातें नहीं बतंगड़ हैं
हर हर महादेव कर देते ,
ये ही तो गुरु का लंगड़ है।।1।।

आचार्यों सी शैली इनकी ,
जैसे आचार्य दिवाकर की,
महाभाष्य के सूत्र खोल दें,
मानों रश्मि सुधाकर की,
परपक्षी को ना उठने दें,
ऐसे धींग-धिमंगड़ हैं
हर हर महादेव कर देते हैं ,
ये ही तो गुरु का लंगड़ है।।2।।

दूध पिएं , सोएं जमकर ,
कुश्ती-व्यायाम, भी करते हैं ,
गंगा तैेरें, दुर्गापाठी ,
शैवाचार भी करते हैं ,
दैहिक हार्दिक शक्ति इनमें ,
पूरे मल्ल मलंगड़ हैं
हर हर महादेव कर देते हैं,
ये ही तो गुरु का लंगड़ है ।।3।।

भूत प्रेत का वास यहां पर
विचरण करते रात्रि में
दीख जाएं ये कभी कभी
तब भी ना डरते रात्रि में
भूतों की क्या चले यहां तो,
खुद ही भूत-भुतंगड़ हैं
हर हर महादेव कर देते हैं,
ये ही तो गुरु का लंगड़ है ।।4।।

तिमि मत्स्य को सुना किसी ने
और सुना तिमिंगल को
तिमिंगिलों के गिल को सुनते
देखा जंगल मंगल को
वेदादिक से करते मंगल
मानों मूर्त सुमंगल हैं
हर हर महादेव कर देते हैैं
ये ही तो गुरु का लंगड़ है ।।5।।

चंदन की खुशबू से जिनका
सदा महकता है माथा
लोगों को सुनवातें हैं जो
राम चरित मानस गाथा
भागे जिससे बहुत तरह की
क्लेश-ताप की भी बाधा
यमनगरी की बात बताते
यममुत् और यमंगड़ हैं
हर हर महादेव कर देते,
ये ही तो गुरु का लंगड़ है।।6।।

(2013 में लिखा गया)

No comments:

Post a Comment

संस्कृत क्षेत्र में AI की दस्तक

 ए.आई. की दस्तक •••••••• (विशेष - किसी भी विषय के हजारों पक्ष-विपक्ष होते हैं, अतः इस लेख के भी अनेक पक्ष हो सकतें हैं। यह लेख विचारक का द्र...