Tuesday, 6 August 2019

।। चल नरवरम् ।। हिन्दी कविता।। हिमांशु गौड़।।

आवाज देती कौमुदी ,
उच्चै: पुकारत शेखरम्
मंजूषा तेरी है रखी
पढ़नी भी है बाकी बची
मत रह गृहं, मत रह गृहम्
चल नरवरं चल नरवरम् ।।१।।
यत् पुण्यदं गंगाजलम्
च्छायास्वपि प्रेतभ्रमम्
श्रीकारिचर्यासौख्यदम्
कहते सभी तत्काल त्वम्
चल नरवरं चल नरवरम् ।।२।।
शिवमन्दिरे घण्टाद्वयम्
वेदस्य चोच्चोच्चारणम्
मन्त्रैस्तथापद्वारणम्
बाबागुरोर्वै यष्टिकम्
आवाहयन्ति द्रुतं द्रुतम्
आ नरवरम् आ नरवरम्।।३।।
यद्ब्रह्मसूत्रमहर्निशं
संचिन्त्यते शिवदं शिवं
श्रीकौण्डभट्टनिबन्धनं
उत्साहयन्ति जनं जनं
चल नरवरं चल नरवरम्।।४।।
मल्लादिखेलनरंजनं
तरणं तथोच्चनिकूर्दनं
शिवसेचनं हरिपूजनं
सम्बोधयन्ति मुहुर्द्विजं
चल नरवरं चल नरवरम्।।५।।

- जून 2012

No comments:

Post a Comment

संस्कृत क्षेत्र में AI की दस्तक

 ए.आई. की दस्तक •••••••• (विशेष - किसी भी विषय के हजारों पक्ष-विपक्ष होते हैं, अतः इस लेख के भी अनेक पक्ष हो सकतें हैं। यह लेख विचारक का द्र...