बीमारी के कारण अवकाश स्वीकृति के सन्दर्भ में---
मौसम रोज बदल रहा, गर्मी की है मार ।
सर्दी-गर्मी से क्वचित्, हो जाता है बुखार ।।
ऑफिस में एसी चले, बाहर लू भरमार ।
खाँसी नजला हो गया, पीडित करे बुखार ।।
बुधवार की सुबह को, चले हाथ ना पैर।
कैसे करता जागकर, बागानों की सैर।।
ज्वर से भीतर जल रहा, तपता रहा शरीर ।
रुक-रुक कर सिर में मेरे, उठती रहती पीर।।
दूरभाष पर सूचना, यद्यपि दी फैलाय ।
कार्यालय ना गमन पर, कर्महीन कहलाय ।।
श्रीमन् तेज बुखार में, पी रहा हूँ घुट्टी ।
अतः तीन दिन तक मुझे, लेनी पड़ी है छुट्टी ।।
सोमवार की प्रात को, हो गया मैं तैयार ।
बेचैनी हड़कल तुरत, चढ आया बुखार ।।
आज मुहल्ले में मेरे, मर गया बुढ्ढा एक ।
सब हैं वहाँ जुटे हुए, अर्थी दी है टेक ।।
किन्तु इस ज्वर-हेतु ही, आना हुआ अशक्य ।
शरीर की रक्षा करो, कहते हैं चाणक्य ।।
यह विनती स्वीकार कर, दीजे छुट्टी आज ।
मन्ये, कल निश्चय करूँ, कार्यालय के काज ।।
निवेदक – हिमांशु गौड
दिनाङ्क – 07-05-2018
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