Tuesday, 6 August 2019

आश्वत्थी छाया - हिमांशु गौड, संस्कृत कविता

आश्वत्थीं चैव शैवीं च च्छायामिच्छामि, शौकरीं
हरिमूर्तिं प्रणम्य,श्रीवारिस्नानसमिच्छुक:।।

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