Tuesday, 6 August 2019

हिमांशु गौड़ का संस्कृत गद्य काव्य

सोपि कश्चिदाकर्ष्टा नव्यप्रभातानामुड्डीयानिल उच्छलदपोभृदशेषहर्षवीक्ष्यक्षिकस्साक्षितां वरुणस्य ययौ नवनीलोल्लासिभासिस्वर्णरज्जुसज्जिनिमज्जिताम्ब्वम्बुधरकारिणश्शिवसक्तशाक्तामोदचोदोप्सूच्छलत्पपात्पपिप्रियपापतुत्प्रीत: पचौरिप्रशान्तनिलयमभ्यगाच्च।।

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