!!शनि ग्रह से बचने के उपाय का विवेचन!!
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कुछ लोग कहते हैं कि हिंदुओं पर ही क्यों शनि चढ़ता है, अमेरिकन पर क्यों नहीं? मुसलमानों पर क्यों नहीं चढ़ता? तो मैं उनसे कहना चाहता हूं की अमेरिकन पर भी चढ़ता है ! इंग्लैंड वालों पर भी चढ़ता है ! और अन्य धर्म पर भी चढ़ता है ! पृथ्वी के प्रत्येक निवासी पर चढ़ता है!
ग्रह का असर अगर नहीं चढता, तो आप उसकी जन्मकुंडली लाइए! हम बताते हैं! आप उसकी डेट ऑफ बर्थ लाइए!
जो ज्योतिषी बताएगा उसकी जन्मकुंडली देख कर , वह काफी मात्रा में सत्य होता है!
जन्म कुंडली का फलादेश ज्योतिषी के ज्ञान एवं उसकी उपासना पर निर्भर करता है।
अगर कुछ ज्योतिषी अच्छा फलादेश नहीं कर पाते तो इसका मतलब यह नहीं है कि ज्योतिष शास्त्र ही गलत है, बल्कि हमें आवश्यकता है एक अच्छे ज्योतिषाचार्य की!!
इसलिए जो लोग ज्योतिष एवं ग्रहों को नहीं मानते वे सिर्फ नास्तिक ही नहीं बल्कि अवैज्ञानिक एवं हीन बुद्धि वाले भी हैं।
यत्रापि कुत्रापि गता भवेयु: हंसा महीमण्डलमण्डनाय हानिस्तु तेषां हि सरोवराणां येषां मरालैस्सह विप्रयोग:।। हंस, जहां कहीं भी धरती की शोभा बढ़ाने गए हों, नुकसान तो उन सरोवरों का ही है, जिनका ऐसे सुंदर राजहंसों से वियोग है।। अर्थात् अच्छे लोग कहीं भी चले जाएं, वहीं जाकर शोभा बढ़ाते हैं, लेकिन हानि तो उनकी होती है , जिन लोगों को छोड़कर वह जाते हैं । *छायाम् अन्यस्य कुर्वन्ति* *तिष्ठन्ति स्वयमातपे।* *फलान्यपि परार्थाय* *वृक्षाः सत्पुरुषा इव।।* अर्थात- पेड को देखिये दूसरों के लिये छाँव देकर खुद गरमी में तप रहे हैं। फल भी सारे संसार को दे देते हैं। इन वृक्षों के समान ही सज्जन पुरुष के चरित्र होते हैं। *ज्यैष्ठत्वं जन्मना नैव* *गुणै: ज्यैष्ठत्वमुच्यते।* *गुणात् गुरुत्वमायाति* *दुग्धं दधि घृतं क्रमात्।।* अर्थात- व्यक्ति जन्म से बडा व महान नहीं होता है। बडप्पन व महानता व्यक्ति के गुणों से निर्धारित होती है, यह वैसे ही बढती है जैसे दूध से दही व दही से घी श्रेष्ठत्व को धारण करता है। *अर्थार्थी यानि कष्टानि* *सहते कृपणो जनः।* *तान्येव यदि धर्मार्थी* *न भूयः क्लेशभाजनम्।।*...
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