गृहचिन्ता समाजस्य चिन्ता वित्तार्जनस्य च। व्यापारादिकलग्नस्य द्रुतं शास्त्रं विनश्यति।।
ए.आई. की दस्तक •••••••• (विशेष - किसी भी विषय के हजारों पक्ष-विपक्ष होते हैं, अतः इस लेख के भी अनेक पक्ष हो सकतें हैं। यह लेख विचारक का द्र...
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