Thursday, 1 August 2019

शास्त्रं यत्नै: सुरक्ष्यम्

नानाविचारदक्षा ये तत्त्वचिन्तासमाहिता:।
तैस्सहैव विचारस्स्यान्नेतरैर्वाग्विडम्बरै:।।

शास्त्रे नृपे च कामिन्यां वशो नैवास्ति कस्यचित्।
सर्वदा सर्वयत्नैश्च रक्ष्या ह्येते शुभैषुभि:।।

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