नानाविचारदक्षा ये तत्त्वचिन्तासमाहिता:। तैस्सहैव विचारस्स्यान्नेतरैर्वाग्विडम्बरै:।।
शास्त्रे नृपे च कामिन्यां वशो नैवास्ति कस्यचित्। सर्वदा सर्वयत्नैश्च रक्ष्या ह्येते शुभैषुभि:।।
ए.आई. की दस्तक •••••••• (विशेष - किसी भी विषय के हजारों पक्ष-विपक्ष होते हैं, अतः इस लेख के भी अनेक पक्ष हो सकतें हैं। यह लेख विचारक का द्र...
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