Saturday, 14 September 2019

बैलोन वाले लालाजी

वह 11 साल का बच्चा जिसके शरीर पर एक पीले रंग की धोती लिपटी हुई थी
एक हाथ में लघुसिद्धांतकौमुदी  लिए हुए सूत्रों को याद कर रहा था वह कुछ ऊंघ सा रहा था,
एक दूसरा लगभग 13 साल की आयु का बच्चा जिसका ऊपरी शरीर बिल्कुल नंगा था
और नीचे एक सफेद रंग की धोती पहने हुए था ।
उसके माथे पर गंगा जी की मिट्टी लगी हुई थी और वह एक हाथ में कुशा लिए हुए गंगा जी की तरफ जा रहा था और साथ में ही अपने दूसरे साथी बटुक को आवाज़ लगा रहा था गंगाजी जाने के लिए
एक विद्यार्थी जिसने मैली कुचली सी धोती पहन रखी थी वह आश्रम के एक तरफ बनी खुली हुई गौशाला में गाय का गोबर उठा रहा था ।
दूसरी तरफ बने हुए हनुमान जी के मंदिर में एक व्यक्ति जोर-जोर से हनुमान चालीसा गा रहा था ।
मंदिर के चबूतरे बैठा हुआ चबूतरे पर बैठा हुआ एक विद्यार्थी वेद के मंत्रों का पाठ कर रहा था यह अमावस्या का दिन था इस समय दिन के 10:30 बज रहे थे कि तभी अचानक हनुमान मंदिर के सामने जो कि बाबा की कुटिया के बिल्कुल सामने ही द्वार की जगह स्थित था
वहां पर अचानक एक कार आकर रुकी और उसमें से उतरे बेलौन वाले लालाजी श्री चंद्र प्रकाश शर्मा जी ।
उनकी आयु इस समय 75 वर्ष थी । वह एक रोबीले व्यक्तित्व के मालिक थे । उनका चेहरा बहुत ही तेजोपूर्ण था वह सफेद रंग का कुर्ता और सफेद रंग की धोती पहने हुए थे ।
उनकी लंबाई पूरी 6 फीट थी और वह पूर्ण रुप से एक धनिक एवं भरे पूरे शरीर के मालिक थे । उनको देखते ही जैसे आदमी उनके प्रभाव से प्रभावित हो जाता था । वह सपत्नीक आए हुए थे ।
साथ में उनका मुंहबोला पुत्र भी था , जिसकी आयु 30 वर्ष थी। लालाजी गाड़ी से उतरे और विद्यार्थी की तरफ इशारा करके बोले "अरे भाई गुरु जी कहां हैं "
बच्चे जल्दी से गुरु जी को देखने के लिए आश्रम के अंदर भागे
इधर लाला जी खुद भी पीपल के पेड़ के नीचे से होते हुए खड़ंजे पर चलते हुए बाबा के कमरे तक जा पहुंचे और उनके चरणों में प्रणाम करके कहा कि कुछ विद्यार्थियों को गाड़ी के पास भेजिए कुछ सामान है जो करवाना है लालाजी कुछ 20 किलो गुड एक कुंतल गेहूं 5 किलो तिल के लड्डू एवं सभी विद्यार्थियों के लिए कपड़े लाए थे गुरुजी लाला जी को देखकर प्रसन्न हुए थे कहा जाओ भाई जल्दी से समान गाड़ी से उतारो।
कुछ मोटे मोटे ताजे विद्यार्थी जल्दी से गए और सामान उतरवा लाए ।
लालाजी कुर्सी पर बैठ गए और गुरुजी अपने तख्त पर बैठे थी , जो कि खुले आसमान के नीचे ही रखा था उस पर एक भगवा रंग का कम्बल बिछा हुआ था ,
और उस समय गुरुजी कुछ विद्यार्थियों को व्याकरण शास्त्र का पाठ पढ़ा रहे थे
नीचे 5-6 विद्यार्थी बैठे हुए पढ़ रहे थे कि तभी लाला जी का आगमन हुआ था यह जाति से ब्राह्मण होते हुए भी अधिक धन होने के कारण लाला जी कहलाते थे।
इस समय सन् 2008 में इनकी आयु 75 वर्ष है ।
इनका विवाह जब हुआ था तब ये अपनी दुल्हन को हेलीकॉप्टर से लाए थे।
यह उस समय का एक रिकॉर्ड था ।
खैर उस समय लालाजी और बाबा गुरु के मध्य कुछ धार्मिक वार्तालाप शुरू हुआ।
गुरु जी ने दान के विषय में श्लोक सुनाया
लालाजी धार्मिक भावना से ओतप्रोत होकर बाबा जी के नाम का जयकारा लगाया।
और धार्मिक चर्चाओं से कुछ समय बिताया, फिर कहा - गुरु जी! हम जरा गंगा जी नहा कर आते हैं , आप तब तक ब्राह्मणों की पंगत लगवाएं ........
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