Monday, 28 October 2019

श्री श्याम बाबा गुरु जी की कुटिया पर एक सुबह

और फिर एक शरद की सुबह हुई , जब हरी-हरी दूर्वा के अग्र-भाग पर लगी हुई ओस की बूंदे, सूरज की किरणों से सात रंगों को धारण कर रही थी , जब मन्द-मन्द बहती हुई वायु, सभी पशु-पक्षियों और मनुष्यों के शरीरों में नए उत्साह का संचार कर रही थीं,

 जब हरे रंग के घोड़ों से जुते स्वर्णरथ पर बैठने वाले , हजारों किरणों वाले , वे हेमपुरुष भगवान् सूर्य उदित हो रहे थे, तब हनुमत्-धाम से निकल कर कोई त्रिपुंडधारी पुरुष , उपवन में से शिव की पूजा के लिए गुलाब के फूल तोड़ रहा था। और उधर श्रीबाबागुरु जी वेदांत-सूत्रों की व्याख्या कर रहे थे, जिसे वहां बैठे हुए कई दंडी स्वामी और अनेक छात्रगण सुन रहे थे।

No comments:

Post a Comment

संस्कृत क्षेत्र में AI की दस्तक

 ए.आई. की दस्तक •••••••• (विशेष - किसी भी विषय के हजारों पक्ष-विपक्ष होते हैं, अतः इस लेख के भी अनेक पक्ष हो सकतें हैं। यह लेख विचारक का द्र...