Skip to main content

非常著名的印度梵語詩人阿查里亞·希曼舒·高ur(Acharya Himanshu Gaur)簡介

非常著名的印度梵語詩人阿查里亞·希曼舒·高ur(Acharya Himanshu Gaur)簡介

生日-1991年3月15日

父親-Pramod Sharma先生

出生地-村莊-Bahadurgarh,區-哈普爾(北方邦)。

研究地點-斯里哈努馬德丹精神學校(Shri shyam baba的小屋)納瓦爾,布蘭沙赫爾(Norora)(美國)

教育學位-Shastri(B.A.),

阿查里亞(碩士)(創新)-瓦拉納西Sampurnanand-Sanskrit-University。

教育家(教育學士)-Naw Dehli(Lucknow-campus)的Deemed University的Rashtriya-Sanskrit-Sansthanam。

Vidyavaridhi(博士學位)-Deshed University(Bhopal-campus)的Rashtriya-Sanskrit-Sansthanam。

工作領域-在許多古典研究,詩歌評論,神話和聖經中都有準備。

出版物-在20多個國家級的研討會和研究論文中進行研究,閱讀和出版。
在第一屆國際研究研討會上發表研究論文。

如今,Acharya Himanshu Gaur居住在印度北方邦的加茲阿巴德市,並從事許多經典知識的研究工作。
政府和許多機構為研究許多經文提供了金錢等設施。這樣他們寫的詩和研究對社會和國家都是非常有益的。他的大多數詩歌對公眾的意識都有很大的影響,並表現出他富有想像力和情感水平的深度。如果您也想聯繫Acharyaji,則可以評論和(hgaud2017@gmail.com)
您也可以在此電子郵件地址上留言。謝謝。
..........

阿查里亞·希曼舒·高爾(Acharya Himanshu Gaur)創作的梵文詩歌書-
.......

Sriganeshshatakam(為甘尼沙勳爵寫的百首詩)

Suryashatakam(寫有關於太陽的百節詩歌)

Pitrishaktam(關於父親的百節詩歌詩)

Sribabagurushatakam(為他的上師寫的一百首詩的詩)

Mitrashatakam(寫有關於朋友的百節詩歌)

Bhavashri :(信函詩集),

Vandyashree :(與Vandana和Abhinandan等有關的詩集),

Kavyashri :(許多詩集)。

Comments

Popular posts from this blog

संस्कृत सूक्ति,अर्थ सहित, हिमांशु गौड़

यत्रापि कुत्रापि गता भवेयु: हंसा महीमण्डलमण्डनाय हानिस्तु तेषां हि सरोवराणां येषां मरालैस्सह विप्रयोग:।। हंस, जहां कहीं भी धरती की शोभा बढ़ाने गए हों, नुकसान तो उन सरोवरों का ही है, जिनका ऐसे सुंदर राजहंसों से वियोग है।। अर्थात् अच्छे लोग कहीं भी चले जाएं, वहीं जाकर शोभा बढ़ाते हैं, लेकिन हानि तो उनकी होती है , जिन लोगों को छोड़कर वह जाते हैं ।  *छायाम् अन्यस्य कुर्वन्ति* *तिष्ठन्ति स्वयमातपे।* *फलान्यपि परार्थाय* *वृक्षाः सत्पुरुषा इव।।* अर्थात- पेड को देखिये दूसरों के लिये छाँव देकर खुद गरमी में तप रहे हैं। फल भी सारे संसार को दे देते हैं। इन वृक्षों के समान ही सज्जन पुरुष के चरित्र होते हैं।  *ज्यैष्ठत्वं जन्मना नैव* *गुणै: ज्यैष्ठत्वमुच्यते।* *गुणात् गुरुत्वमायाति* *दुग्धं दधि घृतं क्रमात्।।* अर्थात- व्यक्ति जन्म से बडा व महान नहीं होता है। बडप्पन व महानता व्यक्ति के गुणों से निर्धारित होती है,  यह वैसे ही बढती है जैसे दूध से दही व दही से घी श्रेष्ठत्व को धारण करता है। *अर्थार्थी यानि कष्टानि* *सहते कृपणो जनः।* *तान्येव यदि धर्मार्थी* *न  भूयः क्लेशभाजनम्।।*...

Sanskrit Kavita By Dr.Himanshu Gaur

संस्कृत क्षेत्र में AI की दस्तक

 ए.आई. की दस्तक •••••••• (विशेष - किसी भी विषय के हजारों पक्ष-विपक्ष होते हैं, अतः इस लेख के भी अनेक पक्ष हो सकतें हैं। यह लेख विचारक का द्रुतस्फूर्त विचार है, इस विषय पर अन्य प्रकारों से भी विचार संभव है। ) ****** पिछले दशकों में किसी विद्वान् के लिखे साहित्य पर पीएचडी करते थे तब प्रथम अध्याय में उस रचयिता के बारे में जानने के लिए, और विषय को जानने के लिए उसके पास जाया करते थे, यह शोध-यात्रा कभी-कभी शहर-दर-शहर हुआ करती थी! लेकिन आजकल सब कुछ गूगल पर उपलब्ध है, आप बेशक कह सकते हैं कि इससे समय और पैसे की बचत हुई। लेकिन इस बारे में मेरा नजरिया दूसरा भी है, उस विद्वान् से मिलने जाना, उसका पूरा साक्षात्कार लेना, वह पूरी यात्रा- एक अलग ही अनुभव है। और अब ए.आई. का जमाना आ गया! अब तो 70% पीएचडी में किसी की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। बेशक नयी तकनीक हमें सुविधा देती है, लेकिन कुछ बेशकीमती छीनती भी है। आप समझ रहे हैं ना कि कोई व्यक्ति आपके ही लिखे साहित्य पर पीएचडी कर रहा है और आपकी उसको लेश मात्र भी जरूरत नहीं! क्योंकि सब कुछ आपने अपना रचित गूगल पर डाल रखा है। या फिर व्याकरण शास्त्र पढ़ने के लिए...