।।मकर संक्रान्ति।।
मकरक्रान्तिसूर्यस्य द्युतिस्संवर्धते यथा।
कान्तिस्तथैव भवतोऽप्येधमिति कामये।।
भावार्थ
- जिस तरह से मकर राशि पर सङ्क्रान्त हुए सूर्य की द्युति बढ़ जाती है , उसी तरह से आप का भी तेज खूब बढ़े, ऐसी हम भगवान् से प्रार्थना करते हैं
आचार्यो हिमांशुर्गौड:
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