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।। श्रीरघुनाथाश्रम-कार्यक्रम:।।



✍✍✍✍✍
जयति ह रघुनाथस्याश्रम: छात्रवर्गै:
हरिचरितसुधाभिस्सिञ्चितस्सर्ववन्द्य:
बहुविधशुभशास्त्रैरर्चनादेवकार्यै:
यमनियमजपैश्श्रीकर्षिमुद्वर्षिभात:।।१।।

जिल्लाध्यक्षमहोदयस्य नितरां कुर्मो वयं स्वागतं
आगत्य द्विजमण्डले शुभमये श्रीसंस्कृतस्यालये
येनास्मत्सुखवर्धनं कृतमहो धन्या वयं चाऽधुना
अन्यांश्चाप्यतिथीन् नुमस्सुरगिरामुद्घोषकार्यालये।।२।।

चन्दौसीनगरस्य संस्कृतगृहं विद्यार्थिभिस्सङ्कुलम्
छात्रावासविकासहासनिरतं चाऽध्यापकैर्भूषितं
साहित्यादिकनैकशास्त्रलसितं कार्येषु सन्तत्परम्
श्रीविश्वासकुमारनामकगुरो: प्राचार्यताशोभितम्।।३।।

यत्राऽऽस्ते रघुनाथमन्दिरमहो चित्तादिसन्तोषकम्
प्रातर्वा भ्रमणाय नागरजनैश्चात्रैव संश्रीयते
पाठप्रेक्षपरीक्षवीक्षणविधौ सर्वोऽत्र दक्षायते
श्रीविश्वासकुमारनामकबुध: प्राचार्यभागस्य वै ।।४।।

शास्त्र्याचार्यपदे प्रयान्ति पुरुषा: यस्मादधीत्य द्रुतं
वेदज्ञानविभूषितो भवति वै यत्र द्विजानां गण:
श्रीविश्वासकुमारनामकबुधस्यादेशनैश्चाल्यते
चन्दौसीरघुनाथसंस्कृतमहाविद्यालयो भ्राजते।।५।।

आनन्दब्रह्मचारी प्रथितगुणवपुश्शोभते नैकवर्षै:
नानाचार्यत्त्वमाप्त: शिवसदनसमर्चारतो यत्र नित्यं
श्रीमान् योऽत्राभिषेकोऽनुज उत भवेदाश्रमस्य प्रियोऽसौ
शोभन्ते राघुनाथे बहुविषयरता: संस्कृतश्रीयुतास्ते।।६।।

अत्र योगश्च साहित्यशास्त्रं तथा
चांग्लभाषा च हिन्दी समाशिक्ष्यते
श्रद्धया चापि विश्वासयुक्तैश्श्रमै:
श्रीलविश्वासविज्ञैर्न किं लभ्यते?७?

वायुयानं च वा वारियानं च वा
भूमियानं शतं यत्र निर्मीयते
अस्त्रशस्त्रादिविज्ञानसंशोभितं
संस्कृतं ज्ञानवारां निधिस्सर्वदा।।८।।

औषधं वा चिकित्साऽथवा वैद्यकं
शल्यविज्ञानमस्थ्यादिसंयोजकम्
स्वास्थदं रोगहं दीर्घजीव्यप्रदं
संस्कृते किं न बोधान्वितं वर्तते??९।।

अश्वशास्त्रं च वा हस्तिशास्त्रं च वा
कामशास्त्रं च वा तन्त्रशास्त्रं च वा
योगसाङ्ख्यादिवेदान्ततर्कादय:
दर्शनानीह षट् संस्कृते किं न वै?१०?

धर्म-कर्मादयो नीतिरीत्यादयो
राजतन्त्रादयो गुप्तमन्त्रादयो
पञ्चतन्त्रं तथा काव्यवारां निधि:
संस्कृते किं न संदृश्यते वर्तते?११?

विरमामि स्ववाणीं वा सर्वस्सौख्यं समीहताम्।
देववाणी जयेदत्र संसारे सर्वदु:खहा ।।१२।।

©हिमांशुगौड:

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