श्रीनिवास झा अल्पायु में ही एक समाजसेवी एवं बहुत अच्छे कल्पनाकार व्यक्ति हैं , मैंने उनके बहुत से प्रकृत्याभा-समन्वित चित्रों को देखकर 3 दिन में (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से तृतीया तक, २०२० सन्) यह कल्पनाकारशतकम् अपनी मौलिक उद्भावनाओं से लिखा है । कल्पनाकार के विविधरूपों को और उसके मोदमान स्वरूप को इस शतक में दिखाया गया है । एवं इस शतक ने अनेकों विषयों की चर्चा है। इसमें स्वामी श्री त्र्यंबकेश्वर चैतन्य जी महाराज एवं डॉ.महेश नारायण शास्त्री जी ने भी अपनी मंगलवाक् लिखी है।
Friday, 15 May 2020
कल्पनाकारशतकम् ।। संस्कृत काव्य ग्रन्थ प्रकाशित।। डॉ.हिमांशु गौड़
श्रीनिवास झा अल्पायु में ही एक समाजसेवी एवं बहुत अच्छे कल्पनाकार व्यक्ति हैं , मैंने उनके बहुत से प्रकृत्याभा-समन्वित चित्रों को देखकर 3 दिन में (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से तृतीया तक, २०२० सन्) यह कल्पनाकारशतकम् अपनी मौलिक उद्भावनाओं से लिखा है । कल्पनाकार के विविधरूपों को और उसके मोदमान स्वरूप को इस शतक में दिखाया गया है । एवं इस शतक ने अनेकों विषयों की चर्चा है। इसमें स्वामी श्री त्र्यंबकेश्वर चैतन्य जी महाराज एवं डॉ.महेश नारायण शास्त्री जी ने भी अपनी मंगलवाक् लिखी है।
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