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नरवर से जब घर आता था : कविता: डॉ हिमांशु गौड़



नरवर से जब घर आता था
******
कुछ प्रसाद चिनौरी लेकर,
गंगा जी की मिट्टी लेकर
दस रूपए की कट्टी लेकर,
जल उसमें भी भर लाता था
नरवर से जब घर आता था।।१।।

भाष्य, कौमुदी, अष्टाध्यायी,
रघुवंश, रुद्राष्टाध्यायी,
शिवराजविजय , प्रतापविजय,
इन सब को बक्से में रखकर
बस छुट्टी को मन में रखकर
इक उमंग को भर लाता था
जब नरवर से घर आता था।।२।।

कुर्ता और पाजामा पहने
एक हाथ में लिए अटैची
मोटी चुटिया सिर पर धारे
बिल्कुल ना मैं शर्माता था
नरवर से जब घर जाता था ।।३।।

निमंत्रणों में मिली दक्षिणा
तांबे की लुटिया और कंबल
मन-तुष्टि के होते संबल
बालकपन की उपलब्धि को
थैले में ही धर लाता था
नरवर से जब घर आता था ।।४।।

भंडारों की कथा सुनाकर
वेद-मंत्र को सुना-सुनाकर
घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर
सब जन को हर्षाता था
नरवर से जब घर आता था।।५।।

मन में नवरस हर्ष घोलकर
जाड़े की तो धता बोलकर
हर-हर गंगे बोल-बोलकर
गङ्गा में रोज नहाता था
जब नरवरवासि कहाता था।।६।।

अंगोछे से सिर को ढांपे
तपते रस्ते मैंने नापे
बढ़ते पैर कभी ना कांपे
सांझ ढले पहुंचा निज द्वारे
चाय कड़क तब बनवाता था
नरवर से जब घर आता था।।७।।

'चौराहे' पर पहुंच, रोककर
'बुलंदशहर' की बस, में बैठा,
'बुलंदशहर' से फिर 'स्याना'
'स्याना' से तांगे में आता था
'नरवर' से जब घर आता था।।८।।

बालक मोह पड़त भारी है,
भूल गया सब तैयारी है
पांच दिनों की छुट्टी को मैं,
दस-दस दिन की कर जाता था
घर से जब नरवर जाता था।।९।।

दीपावली दस वर्ष न छोड़ी,
जन्मभूमि से राह न मोड़ी,
होली के रंगों को मन में,
सजा-सजा कर भर लाता था,
नरवर से जब घर जाता था।।१०।।

हुआ छात्रकाल अब पूरा,
सपना सा बीता जो सारा
अब अतीत की यादों से ही,
भरा हुआ मन, रहे अधूरा।।११।।

आज मची है आपा-धापी,
पैसे की है भागम-भागी
चिन्ताओं से भरा चित्त है,
कौन आज किसका सुमित्र है।।१२।।

लेकिन जीवन यही है मेरा,
नयी शाम है, नया सवेरा
छाएगा फिर घना अंधेरा,
क्या है तेरा क्या है मेरा।।१३।।

दुनिया नाम इसी का है जो,
आनी जानी माया है
पकड़ो नानाविध यत्नों से,
फिर भी छूटती काया है।।१४।।

यही पढ़ा है यही लिखा है
हरिनाम ही सच्चा है,
भारत की इस पुण्य धरा पर
गाता बच्चा-बच्चा है।।१५।।

मोहजाल हैं रिश्ते-नाते
फिर भी इन्हें निभाना है,
ज्यों पानी में कमल बसे
त्यों जग में वास बनाना है।।१६।।
****
©हिमांशु गौड़
०२:४० अपराह्न,१६/०६/२०२०,भौम, गाजियाबाद।

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