। इस पुस्तक में ८११ श्लोक हैं। लगभग १४ छंदों का प्रयोग है। इसमें निहित पत्रों में कोई आपसी हालचाल की पूछा-पाछी मात्र नहीं है,
अपितु इसमें अनेक शास्त्रीय-चर्चा, सामाजिक स्थितियां , विडम्बनाएं , अनेक प्रकार की नीति, हृदय की, मन की अनेक प्रकार की स्थितियां, जीवन की अनेक प्रकार की घटनाएं,दशाएं, यज्ञायोजन, कई नगरों की स्थिति का वर्णन, प्रकृति सौंदर्य का वर्णन, मन की दशाओं का वर्णन, भोपाल परिसर संबंधी वार्ता, संस्कृतोन्नति, धर्म तत्व, कथा, हरिभक्ति, शिवसम्पत्, आचारसम्पन्नत्व, ग्राम, जीवजन्तु,नरवरवर्णन, देवप्रशंसा,विद्वत्प्रशंसा, कालप्राबल्य, वैराग्य, युवत्वविलास, कहीं-कहीं कर्मकांड की क्रियाएं , कहीं भूत प्रेतों की चर्चा, कहीं समृद्धि का वर्णन, कहीं निर्धनता का दर्शन , कहीं शास्त्रीय स्पर्धा , कहीं योषिताओं का चित्रण, विचारों का प्राकट्य आदि निहित हैं।
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