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संस्कृतम्
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सदा न बुलबुल नगमें गाये
सदा न फसले बहारा
सदा न हुस्न जवानी रहते
सदा न सोहबतें यारा
रब जाने किस दामण के लिए
कौन सा गुल चुनता है
कहते है सच्चे दिल की
दुवाये
जल्द खुदा सुनाता
है
तेरा अल्लाह निगेहबान
तेरा मौला निगेहबान
तेरा अल्लाह निगेहबान
तेरा मौला निगेहबान ओ ओ ओ ओ………
जानेवाले ओ जानेवाले
जानेवाले ओ जानेवाले
किया तुझे हमने
किया तुझे हमने
ख़ुदा के हवाले
जानेवाले ओ जानेवाले
जानेवाले ओ जानेवाले
तेरा अल्लाह निगेहबान
तेरा मौला निगेहबान
तेरा अल्लाह निगेहबान
तेरा मौला निगेहबान
कोई मुश्किल न आये,
तेरी राहों
में
पोहंचे साथ ख़ैरियत के,
अपनी मंज़िल की बाहों में
कोई मुश्किल न आये,
तेरी राहों में
पोहंचे साथ ख़ैरियत के
अपनी मंज़िल की बाहों में
तुझे तेरी मंज़िल
तुझे तेरी मंज़िल, गले से लगाले
जानेवाले ओ जानेवाले
जानेवाले ओ जानेवाले
तेरा अल्लाह निगेहबान
तेरा मौला निगेहबान
तेरा अल्लाह निगेहबान
तेरा मौला निगेहबान
ओ ओ ओ…
यह बेलौस चाहत, यह बेदाग़ नाते
जहां में कहाँ
लोग ऐसे निभाते
तुम्हारी मुहब्बत भूला न
सकूंगा
तुम्हारा यह एहसान चुका ना
सकूंगा
दिए ज़िन्दगी के,
दिए ज़िन्दगी के तुम्ही ने उजाले
दिलवाले ओ दिलवाले
दिलवाले ओ दिलवाले
मेरा दिल न चाहे
मेरा दिल न चाहे के
तुमसे विदा ले
दिलवाले ओ दिलवाले
दिलवाले ओ दिलवाले
नायिका -
तू है दिल के करीब, दूर आँखों
से
हम तन्हाईयों में, बातें करे
तेरी यादों से
तू है दिल के करीब, दूर आँखों
से
हम तन्हाईयों में, बातें करे
तेरी यादों से
फूल से दिल पर,
फूल से दिल पर, पड़ गए छाले
जानेवाले ओ जानेवाले
सदा खुश रहे तू
सदा खुश रहे तू
ये मेरी दुआ ले
जानेवाले ओ जानेवाले
जानेवाले ओ जानेवाले
तेरा अल्लाह निगेहबान
तेरा मौला निगेहबान……
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सदा पिकानां नो मधुगानं
सदा न वै मधुमास:
सदा युवत्वं नैव तिष्ठति
सदा न प्रियतमसङ्ग:
जानातीश एव स कस्मै
किं पुष्पं विचिनोति
उक्तं, छलरहितस्य प्रार्थनाम्
ईशस्सद्यश्शृणोति
तव शम्भू रक्षयिता,
तव
शम्भु: पालयिता
तव शम्भू रक्षयिता,
तव
शम्भु: पालयिता..... ओ ओ ओ ओ...
हे प्रयात्रिन् ! हे रे प्रयात्रिन् !
हे प्रयात्रिन् ! हे रे प्रयात्रिन् !
कृतस्त्वं मया रे!
कृतस्त्वं मया रे!
ईशार्पित एव
हे प्रयात्रिन् ! हे रे प्रयात्रिन् !
हे प्रयात्रिन् ! हे रे प्रयात्रिन् !
तव शम्भू रक्षयिता,
तव शम्भु: पालयिता
तव शम्भू रक्षयिता,
तव शम्भु: पालयिता.....
काचिन्नेयाद् विपत्तिस्-
तव मार्गे
प्राप्यो लक्ष्यस्त्वया
सौगम्येन
काचिन्नेयाद् विपत्तिस्-
तव मार्गे
प्राप्यो लक्ष्यस्त्वया
सौगम्येन
गन्तव्यं लभेस्स्वं
गन्तव्यं लभेस्स्वं, मोदेन प्रगन्त:!
हे प्रयात्रिन् ! हे रे प्रयात्रिन् !
हे प्रयात्रिन् ! हे रे प्रयात्रिन् !
तव शम्भू रक्षयिता,....
तव शम्भु: पालयिता......
तव शम्भू रक्षयिता....
तव शम्भु: पालयिता......
ओ ओ ओ…
अच्छला तव प्रीति: , पवित्रात्मबन्ध:
जगत्यां जना: क्वैवं
मिथो निर्वहन्ति
प्रेम तवैतन्न विस्मर्तुमर्हम्
न कार्तज्ञमेतच्च विस्मर्तुमर्हम्
त्वयैव प्रदत्ता:
त्वयैव प्रदत्ता: , जीवनप्रकाशा:
हृदयवन् हे! रे हृदयवन् मे
हृदयवन् हे! रे हृदयवन् मे
न वाञ्छामि त्वत्तो
न वाञ्छामि त्वत्तो
विरहतां कदापि
हृदयवन् हे! रे हृदयवन् मे
हृदयवन् हे! रे हृदयवन् मे
नायिका -
रहसि समावृण्वन्ति, ते स्मृतयो मां
त्वं हृदयस्थोसि, नेत्रतो दूर:
रहसि समावृण्वन्ति, ते स्मृतयो मां
पुष्पवद् हृदये
पुष्पवद् हृदये, घात इव जातो
हे प्रयात्रिन् ! हे रे प्रयात्रिन् !
सदा भू: प्रसन्नस्-
सदा भू: प्रसन्नस्-
त्वियं प्रार्थना मे
हे प्रयात्रिन् ! हे रे प्रयात्रिन् !
हे प्रयात्रिन् ! हे रे प्रयात्रिन् !
तव शम्भू रक्षयिता
तव शम्भु: पालयिता......
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