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Showing posts from September, 2020

नरवरभूमि संस्कृत काव्य का सामान्य परिचय: हिमांशु गौड़

नरवर भूमि यह एक ऐसा काव्य है जिसमें 151 श्लोक हैं । इसमें नरवर नामक स्थान, जोकि विद्वान लोगों की नगरी है , विद्या के लिए प्रसिद्ध है , और लोग इसे "छोटी-काशी" के नाम से भी जानते हैं , उस नरवर स्थान का महत्व इस ग्रंथ में बताया गया है । इसमें अनेक अलंकारों का प्रयोग करके , कहीं लक्षणा , व्यंजना , अभिधा शक्तियों का प्रयोग करके , कवि ने इस ग्रंथ को लिखा है । इसके सारे श्लोक शार्दूलविक्रीडित छंद में हैं। इस नरवर नामक नगरी में "करपात्री-स्वामी" जैसे महापुरुषों ने भी अध्ययन किया । श्रीजीवनदत्त जी महाराज ने नरवर स्थान पर "श्रीसांगवेद-संस्कृत-महाविद्यालय" की स्थापना आज से लगभग 100 वर्ष पहले की थी । इसी विद्यालय के प्रांगण में एक अति प्राचीन "वृद्धिकेशी शिव मंदिर" भी है , जिसकी पूजा-अर्चना नरवर के सभी विद्वान् लोग प्राचीन काल से लेकर आज तक करते आए हैं और कर रहे हैं । यहां पर रहने वाले विद्वान् सभी शास्त्रों का बहुत बढ़िया तरीके से व्याख्यान करते हैं। यहां के छात्र बड़े ही हर्षशील हैं एवं मुख्य रूप से व्याकरण के अध्ययन में तत्पर रहते हैं। धर्मशास्त्र का ज्...

'भावश्री' की अतिलघु समीक्षा

  भूमिका   प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक इस संस्कृत काव्य - रचना की पर म्प रा में प्रतिदिन नया कार्य किया जा रहा है । संस्कृत का साहित्य महर्षि वाल्मीकि , जो कि आदि कवि थे , उनसे लेकर के आज तक भी एक नई ताजगी को लेकर प्रवाहमान देखा जा रहा है   । कवि - कुलगुरू कालिदास , बाणभट्ट , भारवि , द ण्डी, भा स आदि कवियों से प्रवाहित होती हुई यह काव्य की धारा आज भी उसी प्रकार से सतत , अक्ष ुण्ण , निर्मल बहती जा रही है । आज भी पद्मश्री अभिराज - राजेंद्र मिश्र , पद्मश्री रमाका न्त शुक्ल , डॉ. निरंजन मिश्र , जैसे अनेक संस्कृत कवियों द्वारा अनेक काव्य - रचनाओं के द्वारा संस्कृत साहित्य में नई अभिवृद्धि की जा रही है । इसी आधुनिक कवि परम्परा में विशिष्ट काव्यप्रतिभा को धारण करने वाले संस्कृत कवि हिमांशु गौड़ भी हैं । इन्होंने सैंकड़ों संस्कृत कविताएं लिखी हैं, लगभग २५ संस्कृत काव्य ग्रन्थ लिखें हैं, जिनमें से दस संस्कृत काव्य ग्रन्थ प्रकाशित भी हो चुके हैं और शेष प्रकाशनाधीन हैं । इनके - भावश्रीः, वन्द्यश्रीः, काव्यश्रीः , बाबागुरुशतकम् , पितृशतकम् ,गणेशशतकम् , ...