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महामहोपाध्याय श्री रेवाप्रसाद द्विवेदी के लिए श्रद्धांजलि || हिमांशु गौड़

 ||महामहोपाध्याय-श्रीरेवाप्रसादद्विवेदिभ्यश्-श्रद्धाञ्जलि:||

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सच्छास्त्रचिन्तरत: कवितैककर्मा

विद्वत्सभाहरिकथोल्लसितैकधर्मो

विद्यैव यस्य भवति स्म सदैव वर्म

रेवाप्रसादविबुधस्स लभेत शर्म||१||


काव्यानि भावनिभृतानि धियाम्प्रसादै:

कृत्त्वा च भावुकजनैरभिनन्दितानि

सारस्वताम्बुधिनिमज्जितमानसश्री-

रेवाप्रसादविबुधस्स दिवङ्गतो हा||२||


हानिर्महत्यथ जगत्युदभाव्यनेन

यद्धर्मकर्मशुभमर्मवतां प्रयाणं

नैतन्नभोऽद्य दिनराट् सुखदो विभाति

रेवाप्रसादविबुधे हि कृतप्रयाणे||३||


शुक्लाम्बरे!ऽव पदवाक्परिशोभितांस्त्वं

हंसासने!ऽव तव रूपरतान्स्वपुत्रान्

वीणाधरि!त्वमथ चाद्य विहाय वीणां

खड्गं गृहाण परिकृन्तय दुष्टधूर्तान्||४||


नाम श्रुतं तव गुरो, नहि भाषणानि

संश्रुत्य कर्णयुगलम्परिपावितञ्च

दृष्ट्वैव किन्तु वपुषं पदसंरतानां

तात्पर्यविज्ञपुरुषा: तमहो विदन्ति||५||


रेवाप्रसादसुधियां क्व भवेच्च दु:खम्

रेवाप्रसादशुभजन्मवतां क्व शोक:

रेवातटे प्रविलसन्ति सतां विलासा:

रेवाप्रसादविबुधो म्रियते न लोके||६||


हेमाक्षरैर्विरचयन्ति नवां सुगाथां

तेऽप्यक्षरा: न मरणं प्रभवेद्धि तेषां

देहप्रणष्टिरिति नैव बुधस्य नाश:

ते त्वक्षरैर्निजकृतैरमरा भवन्ति||७||


'सीताचरित्रम'थ योऽरचयत्स्वबुद्ध्या

'स्वातन्त्र्यसम्भव'मिति प्रथितञ्च काव्यम्

'नाट्यानुशासन'महो बहुलक्षणाढ्यान्

ग्रन्थान्, प्रियत्त्वमगमत्कविबोद्धृलोके||८||

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हिमांशुर्गौड:

१०:०६ पूर्वाह्णे,

२२/०५/२०२१

उदयपुरे।

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