प्रदोष काल में भगवान् शिव के पूजन का महत्व -------+++-----+++------++++---- प्रदोषकाले शिवमर्चयेद्य: क्व दुर्लभौ तस्य ह भोगमोक्षौ शिवस्स देवेषु समेषु मुख्य: शूली कृपालुर्वृषभध्वजोऽज:।। - आचार्य हिमांशु गौड लौकिक कार्यों की व्यस्तता में उलझे हुए मनुष्य के लिए सौभाग्य से ही ऐसा क्षण मिलता है जब उसकी धार्मिक कार्यों में रुचि होती है । सौभाग्य से इसलिए , क्योंकि वह धर्म ही है जो हमें सभी प्रकार के सत्फलों की प्राप्ति करा सकता है । जो-जो मनुष्य इच्छा करता है , वह-वह धार्मिक अनुष्ठानों द्वारा निश्चय ही सुगम मार्ग से प्राप्त कर लेता है । जैसा कि हमारे सभी देवों में सर्वश्रेष्ठ, सर्वपूज्य,महादेव शिव शंकर प्रभु - जोकि अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं , उनकी भी शास्त्रों में अनेक प्रकार के पदार्थों से अर्चना बताई जाती है,अभिषेक बताया जाता है । भगवान शिव के इस संसार...