।।।।गुरु का लंगड़।।। ******** विजया छानें नित्य प्रति, त्रिपुंड्र लगाकर रहते हैं , गंगाजल पीते हैं जमके , हर-हर करके रहते हैं, उच्च-क्वालिटी बात करें ये, बातें नहीं बतंगड़ हैं हर हर महादेव कर देते , ये ही तो गुरु का लंगड़ है।।1।। आचार्यों सी शैली इनकी , जैसे आचार्य दिवाकर की, महाभाष्य के सूत्र खोल दें, मानों रश्मि सुधाकर की, परपक्षी को ना उठने दें, ऐसे धींग-धिमंगड़ हैं हर हर महादेव कर देते हैं , ये ही तो गुरु का लंगड़ है।।2।। दूध पिएं , सोएं जमकर , कुश्ती-व्यायाम, भी करते हैं , गंगा तैेरें, दुर्गापाठी , शैवाचार भी करते हैं , दैहिक हार्दिक शक्ति इनमें , पूरे मल्ल मलंगड़ हैं हर हर महादेव कर देते हैं, ये ही तो गुरु का लंगड़ है ।।3।। भूत प्रेत का वास यहां पर विचरण करते रात्रि में दीख जाएं ये कभी कभी तब भी ना डरते रात्रि में भूतों की क्या चले यहां तो, खुद ही भूत-भुतंगड़ हैं हर हर महादेव कर देते हैं, ये ही तो गुरु का लंगड़ है ।।4।। तिमि मत्स्य को सुना किसी ने और सुना तिमिंगल को तिमिंगिलों के गिल को सुनते देखा जंगल मंगल को वेदादिक से ...